प्रभाते करद शरणम्

नई उर्जा का संचार के लिए आप सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म बेला / मुहर्त में उठे, और अपने दोनों हाथो की हथेली को रगड़े और हथेली को देख कर अपने मुंह पर फेरे, क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है की कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती । करमूले स्थिता गौरी, मंगलं करदर्शनम् ॥ ब्रह्म बेला में ना उठ पायें हो जब भी उठे दोनों हाथो की हथेली को रगड़े और हथेली को देख कर अपने मुंह पर फेरे I अक्सर लोग सुबह सबसे पहले अपनी चप्पले देखते है I जो कि गलत है I हमारे हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, तथा हाथ के मूल मे सरस्वती का वास है अर्थात भगवान ने हमारे हाथों में इतनी ताकत दे रखी है,ज़िसके बल पर हम धन अर्थात लक्ष्मी अर्जित करतें हैं। जिसके बल पर हम ज्ञान सरस्वती प्राप्त करतें हैं। इतना ही नहीं सरस्वती तथा लक्ष्मी जो हम अर्जित करते हैं, उनका समन्वय स्थापित करने के लिए प्रभू स्वयं हाथ के मध्य में बैठे हैं। ऐसे में क्यों न सुबह अपनें हाथ के दर्शन कर प्रभु की दी हुई ताकत का अहसास करते हुए तथा प्रभु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए दिन की अच्छी शुरूआत करें।

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