दोहे

तुलसी मेरे राम को , रीझ भजो या खीज ।
भौम पड़ा जामे सभी , उल्टा सीधा बीज ॥

एक बार तुलसी दास जी से किसी ने पूछा: कभी-२ भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी सिमरन के लिये बैठ जाते है ;क्या उसका भी कोई फल मिलता है ?
तुलसी दास जी ने मुस्करा कर कहाः
तुलसी मेरे राम को , रीझ भजो या खीज ।
भौम पड़ा जामे सभी , उल्टा सीधा बीज ॥

अर्थात भूमि में जब बीज बोये जाते है, तो यह नहीं देखा जाता कि बीज उल्टे पड़े है या सीधे, पर फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है । इसी प्रकार, राम नाम सुमिरन कैसे भी किया जाये , उस का फल अवश्य ही मिला करता है !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *