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धनतेरस

दीपावली के दो दिन पूर्व भगवान धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा चिकित्सा शास्त्र के देवता माने जाते हैं। इनकी चौबीस अवतारों के अंतर्गत गणना होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनवंतरि जी भगवान विष्णु के अवतार माने गए हैं। समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि जी का पृथ्वी लोक में अवतरण हुआ था।
धन्वंतरि जी अपने समय के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक व आयुर्वेदज्ञ रहे है। उन्होंने अपने काल के सभी रोगों को समाप्त किया है। आयुर्वेद में यह परंपरा है कि प्रयोग से पूर्व जडी-बूटियों को धंवंतरी देव का ध्यान कर सिद्ध करते हैं, जिससे इन जड़ी-बूटियों का प्रभाव कई गुणा बढ जाता है ।
धनतेरस के दिन घर के मेन गेट पर बाहर की ओर 4 बातियों का दीपदान करना चाहिए। रात में इस दिन आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर के साथ मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। इस दिन माँ लक्ष्मी को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा अवश्य अर्पित करना चाहिए।

धनतेरस को धनिया खरीदना बहुत शुभ माना जाता है
धनतेरस के मौके पर ज्यादातर लोग सोना -चांदी या बर्तन खरीदते हैं, लेकिन आज के दिन धनिया के बीज(खड़ा धनिया) खरीदना अत्यंत ही शुभ होता है। धनिया को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए धनतेरस को थोड़ी सी धनिया जरूर खरीदें।

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